फिदायीन अटैक और डार्क नेट जैसे खतरों से राम मंदिर की बेजोड़ सुरक्षा व्यवस्था की गई है। परिसर के ‘6’ स्तरीय सुरक्षा घेरे में सेंध लगाना आसान नहीं है। सुरक्षा बलों को ‘जी 20’ शिखर सम्मेलन की तरह विशेष पास जारी किए जा रहे हैं, ताकि कोई भी सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी से इधर-उधर न हो सके…उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 70 एकड़ जमीन पर बनाए जा रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर परिसर की सुरक्षा को अभेद्य बनाया जा रहा है। राम मंदिर परिसर में आतंकियों द्वारा हमला करने की धमकियां आती रहती हैं। अब मंदिर परिसर, पूरी तरह ‘नो-फ्लाइंग जोन’ घोषित हो चुका है। ड्रोन, हवाई जहाज या चॉपर, यहां से नहीं गुजर सकेंगे।फिदायीन अटैक और डार्क नेट जैसे खतरों से राम मंदिर की बेजोड़ सुरक्षा व्यवस्था की गई है। परिसर के ‘6’ स्तरीय सुरक्षा घेरे में सेंध लगाना आसान नहीं है। सुरक्षा बलों को ‘जी 20’ शिखर सम्मेलन की तरह विशेष पास जारी किए जा रहे हैं, ताकि कोई भी सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी से इधर-उधर न हो सके। मंदिर परिसर और उसके आसपास लगभग छह सौ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अयोध्या में सीआरपीएफ, यूपीएसएसएफ, पीएसी और सिविल पुलिस चप्पे-चप्पे पर मौजूद है।
‘पुलिस और फौज’ की वर्दी में आ सकते हैं आतंकी
कई बार ऐसे इनपुट मिलते रहे हैं कि राम मंदिर के सुरक्षा घेरे को तोड़ने के लिए विदेशी आतंकी समूह सक्रिय हैं। इनमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी समूह शामिल हैं। ये समूह, नेपाल सीमा के जरिए मंदिर पर हमला करने की रणनीति बनाते रहते हैं। मंदिर पर फिदायीन अटैक का भी एक बड़ा खतरा रहा है। इस तरह के इनपुट में ऐसी संभावना जताई गई है कि मंदिर में ‘पुलिस और फौज’ की वर्दी पहनकर आतंकी हमला हो सकता है। पहले ब्लास्ट और उसके बाद फायरिंग, हमले के लिए आतंकी कुछ इसी तरह की प्लानिंग करते हैं। ऐसे संभावित हमलों के मद्देनजर मंदिर परिसर की सुरक्षा को पुख्ता बनाया गया है। मंदिर की सुरक्षा में सीआरपीएफ, यूपीएसएसएफ, पीएसी और लोकल पुलिस तैनात है। अब यूपीएसएसएफ को स्थायी तौर पर मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिल सकती है, इसके मद्देनजर ही इस फोर्स के जवानों को प्रशिक्षिण दिया गया है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले मंदिर परिसर और उसके आसपास, एक विशेष सिक्योरिटी घेरा बना दिया जाएगा।हर समय मंदिर में तैनात रहता है बमरोधी दस्ता
सीआईएसएफ ने मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। यूपी सरकार, ने उन सुझावों पर अमल किया है। इस बल के शीर्ष अफसरों ने मंदिर परिसर का दौरा किया था। इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने के लिए अलग से एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंदिर के 6 स्तरीय सुरक्षा घेरे में सटीक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए आईबी, आईएलयू ‘खुफिया संपर्क इकाई’ और सीआरपीएफ की इंटेलिजेंस विंग, को विशेष टॉस्क दिया गया है। मंदिर परिसर की सुरक्षा को तीन भागों में बांटा गया है। रेड जोन में मंदिर परिसर के अंदर वाला हिस्सा शामिल है। येलो जोन में आसपास के वे सभी रास्ते शामिल किए गए हैं, जो मंदिर परिसर की तरफ जाते हैं। ग्रीन जोन का दायरा इससे कुछ ज्यादा होता है। यूपी पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ की एक बटालियन, 24 घंटे मंदिर परिसर की चौकसी करती है। ये बल सभी तरह के हमलों का जवाब देने में पारंगत हैं। अगर कोई आतंकी हमला होता है या विस्फोट के जरिए कोई व्यक्ति/समूह, मंदिर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, तो उसे पहले ही नेस्तानाबूद कर दिया जाता है। जो इनपुट मिले हैं, उनमें मंदिर परिसर को नुकसान पहुंचाने के लिए आसपास कोई दंगा कराया जा सकता है। बम फेंकने व सशस्त्र हमले से निपटने का भी पूरा इंतजाम है। बमरोधी दस्ता हर समय मंदिर में तैनात रहता है।
मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए ‘डार्क नेट’ की मदद
राम मंदिर तक पहुंचने के मार्ग भी सुरक्षा के हिसाब से तय किए गए हैं। एक स्पेशल मार्ग है, जहां पर तीन जगह चेकिंग होती है। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी भी मार्ग से मुख्य मंदिर तक पहुंच सकता है। उसके लिए एक मार्ग निश्चित किया गया है। मंदिर में कुछ भी लाना वर्जित है। कुछ महीने पहले ही एक व्यक्ति ने डार्क नेट का इस्तेमाल कर मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस की तत्परता से वह व्यक्ति पकड़ा गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी सुरक्षा एजेंसियों की नजर है। डार्क नेट और इंटरनेट के जरिए अपराध को अंजाम देने वाले दूसरे तौर तरीकों पर भी नजर रखी जा रही है। मंदिर की सुरक्षा के लिए आसपास के इलाके में भी गहन जांच पड़ताल होती है। स्थानीय निवासियों के यहां पर कौन आ रहा है, ये सब बताना पड़ता है। इसका एक रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। किसी व्यक्ति के यहां कोई समारोह है, तो बाकायदा उस पर इंटेलिजेंस इकाई की नजर रहती है। यह देखा जाता है कि वहां कोई अपराधी, मंदिर को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं रच रहे। मंदिर के आसपास के इलाके में किसी को मैपिंग करने की इजाजत नहीं है।
मंदिर की सुरक्षा होगी यूपीएसएसएफ के हवाले
मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद यहां की सुरक्षा यूपीएसएसएफ को सौंपे जाने की तैयारी है। इस बाबत औपचारिक निर्णय हो चुका है। यूपी पुलिस की स्पेशल सर्विस यूनिट में पीएसी के जवानों को शामिल किया गया है। मंदिर में एनएसजी की टीम भी आती रहती है। मंदिर के आसपास आठ मस्जिद हैं। वहां तैनात सुरक्षा बलों को यह ट्रेनिंग दी गई है कि हमले की स्थिति में किसकी क्या जिम्मेदारी रहेगी। सर्विलांस के लिए अयोध्या में ही लगभग 2500 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं। वाहनों को एक तय दूरी पर रोका जा रहा है। अगर कोई खास मेहमान है, तो उसके लिए पास जारी होता है। इसके बाद भी सुरक्षा कर्मी, उसे अकेला नहीं छोड़ते। बतौर गाइड, वे उसके साथ रहते हैं। मंदिर परिसर की सुरक्षा को लेकर विशेष समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती रहती है। इस काम को समय समय पर विभिन्न एजेंसियां अंजाम देती हैं। सिक्योरिटी सर्वे होता रहता है।