बीते रविवार रात से सोमवार सुबह सात बजे तक करीब छह घंटे मुंबई में मूसलाधार बारिश हुई, जिसके बाद पूरी मुंबई पानी-पानी हो गई. हालत इतने बिगड़ गए कि कभी न थमने वाली मुंबई एकाएक थम सी गई. बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए. लोकल ट्रेनें और बाहर के राज्यों से आने वाली ट्रेनें कैंसल कर दी गईं. इन सबके बीच सवाल ये है कि आखिर हर साल मुंबई को इस समस्या से सामना करना पड़ता है और अभी तक इसको लेकर कोई ठोस इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में सोमवार को एक बार फिर बाढ़ आ गई. छह घंटे में 300 मिमी से अधिक बारिश हुई, जिससे मुंबई पानी-पानी हो गई. मुंबई में हर साल होने वाली बारिश का 10 प्रतिशत रविवार रात से सोमवार सुबह 7 बजे के बीच हुआ, क्योंकि देश और दुनिया भर के शहरों की तरह मुंबई भी जलवायु परिवर्तन से पीड़ित है. इसी तरह इसके और भी कारण हैं.
26 जुलाई 2005 को मुंबई में 24 घंटे में 900 मिमी बारिश हुई थी. एक दिन में हुई ये बारिश पूरे जुलाई महीने की बारिश थी. इस बारिश के कारण मुंबई थम सी गई थी. इस बारिश में 1,094 लोगों की मौत हुई थी. साथ ही 500 करोड़ का नुकसान हुआ था. उसके बाद भी मुंबई में कुछ नहीं बदला. जब भारी बारिश होती है तो मुंबई रुक जाती है.
ये हैं मुंबई के बाढ़ में डूबने का कारण?
मुंबई शहर अरब सागर से सटा हुआ है. शहर में चार नदियां हैं, मीठी, दहिसर, ओशिवारा और पोयसर. मीठी नदी पूरे मुंबई शहर को घेरती है. कई स्थानों पर तो नदी की चौड़ाई मात्र 10 मीटर ही है. इसलिए, जब भारी बारिश होती है तो नदी उफान पर आ जाती है.
मुंबई का आकार देश के अन्य शहरों से अलग है. समुद्र तट पर सात द्वीपों का यह शहर कई जगहों पर बहुत नीचे है. कुछ स्थानों पर यह अधिक भी है. ऐसे में जैसे ही तेज बारिश शुरू होती है तो पानी निचले हिस्से की ओर बढ़ने लगता है. इसके कारण सायन, अंधेरी सबवे, मिलान सबवे और खार के निचले हिस्से में पानी भर जाता है.
शहर की जल निकासी व्यवस्था ऐसी है कि पानी बहकर समुद्र में चला जाता है, लेकिन भारी बारिश के दौरान समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण नालों के गेट बंद कर दिए जाते हैं. समुद्र के पानी को शहर में वापस आने से रोकने के लिए ये द्वार बंद किए जाते हैं. ऐसे में बारिश के पानी को निकलने की कोई जगह नहीं होती है. पानी घटने के बाद सिस्टम को ठीक होने में 6 घंटे का समय लगता है.
देश के ज्यादातर शहरों में बारिश का पानी जमीन में समा जाता है, लेकिन मुंबई में हालात अलग हैं. मुंबई का 90 फीसदी पानी बहता है. इससे जल निकासी पर भी भारी बोझ पड़ता है.
देश के कोने-कोने से लोग मुंबई आते हैं. इतने लोगों को ठहराने की कोई योजना नहीं है. बहुत से लोग निचले इलाकों में रहते हैं. उसके लिए अतिक्रमण किया गया है. इसके कारण कम बारिश के दौरान भी कई निचले इलाकों में पानी जमा हो जाता है.
बाढ़ से बचने के लिए इन प्रोजेक्टों पर चल रही चर्चा
पिछले कुछ समय से जापान की मदद से मुंबई में भूमिगत पाइपलाइन (भूमिगत डिस्चार्ज चैनल) बनाने पर चर्चा चल रही है. जापान ने यह प्रोजेक्ट टोक्यो शहर में भी बनाया, क्योंकि टोक्यो में 35 लाख से ज्यादा लोगों पर हमेशा बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है. इसी के चलते जापान ने एक अंडरग्राउंड चैनल बनाया है. यह बाढ़ के पानी या अतिरिक्त पानी को इस चैनल से गुजरने की अनुमति देता है और एक पंप के माध्यम से एडो नदी में छोड़ दिया जाता है.